अपनी "आदत" को जरा सा सुधार कर देखो तुम गलतफहमियां दिल से निकाल कर देखो फिर वही 'शख़्स' नज़र आने लगेगा 'मुझमें' 'आँखों' से "शक" का चश्मा उतार कर देखो --प्रशान्त मिश्रा "शक का चश्मा"