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world poetry day प्रकृति ही कविता है हवा कि सन

world poetry day  प्रकृति ही कविता है 

हवा कि सन सन 
पत्तों के सर सर 
चिड़ियों कि चूं चूं 
झरनों का झर झर 
पानी का कल कल 
कविता ही तो है
world poetry day  प्रकृति ही कविता है 

हवा कि सन सन 
पत्तों के सर सर 
चिड़ियों कि चूं चूं 
झरनों का झर झर 
पानी का कल कल 
कविता ही तो है
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