वक़्त दे रहा है पुकार... उठो तो सही... इतनी जल्दी गए हार... उठो तो सही... ! अभी तो बदन में लहू का आख़िरी कतरा बाकी है... वो दुश्मन भर रहा हुंकार... उठो तो सही ! और कैसे निगल रहा देखो अंधेरा सूरज को... हो रही इंसानियत तार-तार... उठो तो सही ! सही वक़्त है ये कुछ कर दिखाने का... बस अब करो पलटवार... उठो तो सही ! मुसीबतों के सामने झुकने से तो अच्छा है... कोशिश करो बार-बार... उठो तो सही ! वो बढ़ रही आग की लपटें अपने घर की ओर... खतरे में है परिवार... उठो तो सही ! चैन की नींद तुम सो कैसे सकते हो जब... मच रहा गली में हाहाकार... उठो तो सही ! झूठ सुनने की आदत शायद पड़ गई है तुमको... सच से मत करो इंकार... उठो तो सही ! बहुत भटक लिए दूर-दूर तक समंदर में तुम... अब तो सम्भालो पतवार... उठो तो सही ! हुआ खुशियों का सौदा तो किसी के गम ही बेच डाले... बंद करो ये व्यापार... उठो तो सही ! किसी को इतना तड़पा के...नमक जख्मों पे छिड़का के... करोगे कब तक ये अत्याचार... उठो तो सही ! वादे सारे झूठमूठ के... कब तक तुम यूँ उठ-उठ के... गिरोगे कितनी बार सरकार... उठो तो सही ! नसीहत दे रहा तुमको... "सुमीत" समझा रहा सबको... जगो अब बस करो मेरे यार... उठो तो सही ! *सुमीत सिवाल* ©SUMEET SMS #poem #waqt #utho #to #sahi #poet #shayri #motivation #poet #Hopeless