हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिग लड़कियों को भी मेडिकल ट्रीटमेंट ऑफ प्रेगनेंसी एमटीपी एक्ट 2021 के प्रधान का लाभ दिया है इसके तहत गर्भपात करने वाली माया बालिक लड़कियों की पहचान उजागर करने से डॉक्टर को छूट प्रदान की गई है यानी अगर कोई नाबालिक घर बात कराने के लिए आती है तो डॉक्टर को स्थानीय पुलिस के सामने उस लड़की की पहचान उजागर करने की जरूरत नहीं है दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने एमटीपी एक्ट 2021 के तहत 20 से 24 हफ्ते के बीच नाबालिक अविवाहित और लव इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिलाओं को भी गर्भपात का अधिकार दिया इससे पहले ही अधिकार केवल विवाहित महिलाओं को ही प्राप्त था गौरतलब है कि भारत में पहली बार वर्ष 1971 में गर्भपात कानून पारित किया गया था जिसे जिसे मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी यानी एमटीपी एक्ट 1971 नाम दिया गया था उस वक्त दुनिया के प्रगतिशील देशों में भी ऐसा कानून नहीं था इसमें वर्ष 2021 में संशोधन किया गया है जिसमें गर्भपात की समय सीमा 20 हफ्ते से बढ़ाकर 24 हफ्ते कर दी गई है मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी संशोधन एक्ट 2021 के अनुसार गर्भपात महिलाएं 24 हफ्ते तक गर्भपात कर सकती हैं ©Ek villain #नाबालिक लड़कियों के हित में फैसला लिया सुप्रीम कोर्ट ने #hands