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ये किस खुशी में गम जिस्म से लिपट रहा है अब तो तेर

ये किस खुशी में गम जिस्म से लिपट रहा है 
अब तो तेरी फुरकत गुजारी जा रही है

एक रोज़ सिगरेट पीते हुवे चूमे थे लब मेरे उसने 
उसकी मिठास लबों से मिटायी जा रही है

इक बार कहा था मैंने उसे तुम्हें पाने की तमन्ना है मुझे
तब से बिछड़ने का दस्तूर किया जा रहा है

रोज रोज एक ख़्वाब सजा रखा था मैंने आंखों में 
अब तो तकिये की कीमत लगाई जा रही है

कैद हो गये थे किसी के चक्ष-ऐ-गार में 
अब तो पंछी की रिहाई मांगी जा रही है

सुना है मांगने से नहीं मिलती हर चीज यहाँ 
इसीलिये इंतजार को सुखुन लिखा जा रहा है

©Sagar Oza #intezaar #sagarozashayari #sagaroza #sagarozagoogle #hijr #nojota #Nojoto #nojotahindi #nojotaquotes
ये किस खुशी में गम जिस्म से लिपट रहा है 
अब तो तेरी फुरकत गुजारी जा रही है

एक रोज़ सिगरेट पीते हुवे चूमे थे लब मेरे उसने 
उसकी मिठास लबों से मिटायी जा रही है

इक बार कहा था मैंने उसे तुम्हें पाने की तमन्ना है मुझे
तब से बिछड़ने का दस्तूर किया जा रहा है

रोज रोज एक ख़्वाब सजा रखा था मैंने आंखों में 
अब तो तकिये की कीमत लगाई जा रही है

कैद हो गये थे किसी के चक्ष-ऐ-गार में 
अब तो पंछी की रिहाई मांगी जा रही है

सुना है मांगने से नहीं मिलती हर चीज यहाँ 
इसीलिये इंतजार को सुखुन लिखा जा रहा है

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Sagar Oza

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