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कैदी हूं, मैं उसके दिल की अब रिहा होना चाहती हूं।


कैदी हूं, मैं उसके दिल की
अब रिहा होना चाहती हूं।
कोई और आ गया है, उसमें
उसे ही रहने देना चाहती हूं।
कब तक रहेगी, वो भी
इसकी फितरत ही ऐसी है।
दुआ!! तो न होगी मुझसे अब
उसे मैं बददुवा देती हूं।
किया जो अंजाम तूने
मेरे दिल को चकनाचूर किया।
तेरा भी हाल वैसा ही होगा,
जैसा तूने मेरा किया।

©Reena Sharma
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