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#OpenPoetry लगते बोझ हैं क्यों ... माँ-बाप फिर, खु

#OpenPoetry लगते बोझ हैं क्यों ... माँ-बाप फिर,
खुद  पौधे  का  तू  अपने  माली!!
खाना होटल से ...     है मंगवाया,
नहीं परोसी ...     माँ को थाली!!

कहना था बस कह दिया
  ~~~ निशान्‍त ~~~ खाना होटल से
#OpenPoetry लगते बोझ हैं क्यों ... माँ-बाप फिर,
खुद  पौधे  का  तू  अपने  माली!!
खाना होटल से ...     है मंगवाया,
नहीं परोसी ...     माँ को थाली!!

कहना था बस कह दिया
  ~~~ निशान्‍त ~~~ खाना होटल से