तू कहीं तो होंगी,मिलने का वो इत्तेफाक लिख रहा हूँ सुनो...मैं कविता नहीं _वो हर एहसास लिख रहा हूं तू कहीं तो होंगी,मिलने का वो इत्तेफाक लिख रहा हूँ सुनो...मैं कविता नहीं वो हर, एहसास लिख रहा हूं सुना हैं तुम सख्त हो फिर भी मैं दिलदार लिख रहा हूँ दिल से निकले तेरे लिए, कुछ अल्फाज लिख रहा हूं अनजाने से थे हम कभी आज ऐसी पहचान बन गई मुझे खुद ही नहीं पता चला, कब मेरी जान बन गई