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मोम की तरह यूं पिघल रहे हैं रिश्ते, रफ्ता रफ्ता

मोम  की तरह यूं पिघल रहे हैं  रिश्ते,
रफ्ता रफ्ता हरपल बदल रहे हैं रिश्ते,
रिश्तों  को थामा है  हमने हथेली पर,
जल रही है हथेली, जल रहे हैं रिश्ते।

©RAVI Kumar
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