... सावन की कलम पे ... ये रंग-ए-गुल भी है, ओर बहार भी है... ज़ुबान चलती हुई तलवार भी है... अजब है बोलती आंखो की मस्ती... जहां इनकार भी है, इकरार भी है... ये राहे इश्क़ है, चलना संभल कर... बहुत आसान भी है, दुस्वार भी है... अजब दो रंग है इंसान की फितरत... गीला है जिससे, उसिसे मुहहोबत भी है... ... सावन ... #सावन #savankhokhani #savankikalampe #sadsayari #savankhokhanipoem #savankhikhanigajal