नाव है मंझधार में खेवैया बेसुध पार में महिमा धार की गणतव्य नाव का किनारा दाँव का रामभरोसे कुछ नहीं रामभरोसे बेसुध अड़ा है नाव कहीं,पतवार कहीं ना रहेगा नाव,ना रहेगा खेवैया ऊब चूका है,लाचारी से खुशहाल नहीं बना,पतवारी से लाचार लुटेरों की भी मगजमारी है चढ़ावा तो विपत्ति भारी है रामभरोसे राम भरोसे है उस पर चुनाव की तैयारी है पूरा समाज मंझधार की बीमारी है अबकी बिहार की पारी है!! नितीश असफल है,समस्या अटल है दारू बंद है,चुनाव अविलम्ब है "पत्रकारों सिर्फ दारू पर चोट करो,सरकार फिर बदलेगी" !! नाव है मंझधार में खेवैया बेसुध पार में महिमा धार की गणतव्य नाव का