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अद्रश्य भय के भ्रम कूप में, भोर तमस से रंजित, चड

अद्रश्य भय के भ्रम कूप में, 
भोर तमस से रंजित, 
चड़ा प्रत्यंचा निराकार योग पर,
चहुँ दिशा संहार घनघोर हो,
हो भय कण कण में व्याप्त 
शून्यता का शोर हो
हे धनुर्धर बेध कर सूर्य,
हर पक्ष अमावस की भांति,
विध्वंस का सूचक बने,
वेग देख फिर आत्म शांति का,
क्रोध ज्वाला में जले,
यथा नीर की धार में, 
ज्वलित अग्नि भी हो सके? #भय #आकांक्षा #अंधकार #आत्मबल #yqbaba #yqdidi #sajalsays
अद्रश्य भय के भ्रम कूप में, 
भोर तमस से रंजित, 
चड़ा प्रत्यंचा निराकार योग पर,
चहुँ दिशा संहार घनघोर हो,
हो भय कण कण में व्याप्त 
शून्यता का शोर हो
हे धनुर्धर बेध कर सूर्य,
हर पक्ष अमावस की भांति,
विध्वंस का सूचक बने,
वेग देख फिर आत्म शांति का,
क्रोध ज्वाला में जले,
यथा नीर की धार में, 
ज्वलित अग्नि भी हो सके? #भय #आकांक्षा #अंधकार #आत्मबल #yqbaba #yqdidi #sajalsays
suparasjain9052

Suparas Jain

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