|| श्री हरि: ||
23 - भूख लगी है
'दादा, मुझे भूख लगी है।' कन्हाई आकर दाऊ के वाम पार्श्व में बैठ गया है। दोनों भुजाएं अग्रज के कंधे पर सिर रख दिया है इसने।
'तब तु आम खा ले।' दाऊ ने छोटे भाई की अलकों पर स्नेहपूर्वक अपना दाहिना हाथ घुमाया।
'नहीं, आम की भूख नहीं लगी है।' कृष्ण का उदर अद्भुत है। नन्दनन्दन की क्षुधा ऐसी नहीं है कि यह चाहे जिस पदार्थ से बुझ जाय। इसे भूख भी कभी फल की लगती है, कभी दही या नवनीत की लगती है और कभी माखन-रोटी की लगा करती है।