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विषमृत् हर चीज़ तैयार खाने के रूप में हमें मिलती ह

विषमृत्
हर चीज़ तैयार खाने के रूप में हमें मिलती है,
जो कभी तो स्वादिष्ट होती है,कभी नहीं, 
दोनों स्थिति में हम इंतज़ार करते हैं,
बिना मेहनत ठीक ठाक स्वाद मिलने का,
जबकि पकाने वाले को सब कुछ पता होता है,
कब कैसे कौन सा स्वाद उड़ेलना है,
हमारे दिमाग़ को ऐसी है एक खेप दुनिया में मिल रही है,
और हम अपरिवर्तित हैं,इंतज़ार करते हुए,
मन के अनुरूप स्वाद के तलाश में,
हो सकता है अगला पतिला अमृत का चढ़ा हो,
और ये भी हो सकता है कि अगला विष हो।

✍महफूज़ विषमृत्
हर चीज़ तैयार खाने के रूप में हमें मिलती है,
जो कभी तो स्वादिष्ट होती है,कभी नहीं, 
दोनों स्थिति में हम इंतज़ार करते हैं,
बिना मेहनत ठीक ठाक स्वाद मिलने का,
जबकि पकाने वाले को सब कुछ पता होता है,
कब कैसे कौन सा स्वाद उड़ेलना है,
हमारे दिमाग़ को ऐसी है एक खेप दुनिया में मिल रही है,
विषमृत्
हर चीज़ तैयार खाने के रूप में हमें मिलती है,
जो कभी तो स्वादिष्ट होती है,कभी नहीं, 
दोनों स्थिति में हम इंतज़ार करते हैं,
बिना मेहनत ठीक ठाक स्वाद मिलने का,
जबकि पकाने वाले को सब कुछ पता होता है,
कब कैसे कौन सा स्वाद उड़ेलना है,
हमारे दिमाग़ को ऐसी है एक खेप दुनिया में मिल रही है,
और हम अपरिवर्तित हैं,इंतज़ार करते हुए,
मन के अनुरूप स्वाद के तलाश में,
हो सकता है अगला पतिला अमृत का चढ़ा हो,
और ये भी हो सकता है कि अगला विष हो।

✍महफूज़ विषमृत्
हर चीज़ तैयार खाने के रूप में हमें मिलती है,
जो कभी तो स्वादिष्ट होती है,कभी नहीं, 
दोनों स्थिति में हम इंतज़ार करते हैं,
बिना मेहनत ठीक ठाक स्वाद मिलने का,
जबकि पकाने वाले को सब कुछ पता होता है,
कब कैसे कौन सा स्वाद उड़ेलना है,
हमारे दिमाग़ को ऐसी है एक खेप दुनिया में मिल रही है,
mahfuzmonu5015

Mahfuz nisar

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