जीवन दृष्टि का नाम ही ‘विज्ञान’ है। मैं क्या हूँ, मेरा लाभ किस में है, मुझे आनन्द देने वाली वस्तु क्या है? मेरा लक्ष्य क्या है? मुझे क्या सोचना चाहिए? क्या करना चाहिए? कैसे गुणों और स्वभाव को अपनाना चाहिए, दूसरों के प्रति मेरा व्यवहार क्या होना चाहिए आदि प्रश्नों का उत्तर अन्तरात्मा के गुप्त प्रदेश में जिस प्रकार मिलता हो उसी के अनुसार यह जाना जा सकता है कि हमारे विज्ञानमय कोश की स्थिति क्या है? (अखंड ज्योति) विज्ञान