एक पुत्र अपने वृद्ध पिता को रात्रिभोज के लिये एक अच्छे रेस्टोरेंट में लेकर गया। खाने के दौरान वृद्ध पिता ने कई बार भोजन अपने कपड़ों पर गिराया। रेस्टोरेंट में बैठे दूसरे खाना खा रहे लोग वृद्ध को घृणा की नजरों से देख रहे थे लेकिन उसका पुत्र शांत था। खाने के बाद पुत्र बिना किसी शर्म के वृद्ध को वॉशरूम ले गया। उनके कपड़े साफ़ किये, चेहरा साफ़ किया, बालों में कंघी की, चश्मा पहनाया, और फिर बाहर लाया। सभी लोग खामोशी से उन्हें ही देख रहे थे। फ़िर उसने बिल का भुगतान किया और वृद्ध के साथ बाहर जाने लगा। तभी डिनर कर रहे एक अन्य वृद्ध ने उसे आवाज दी, और पूछा - क्या तुम्हें नहीं लगता कि यहाँ अपने पीछे तुम कुछ छोड़ कर जा रहे हो? उसने जवाब दिया - नहीं सर, मैं कुछ भी छोड़कर नहीं जा रहा। वृद्ध ने कहा - बेटे, तुम यहाँ प्रत्येक पुत्र के लिए एक शिक्षा, सबक और प्रत्येक पिता के लिए उम्मीद छोड़कर जा रहे हो। आमतौर पर हम लोग अपने बुजुर्ग माता-पिता को अपने साथ बाहर ले जाना पसंद नहीं करते, और कहते हैं - क्या करोगे, आपसे चला तो जाता नहीं, ठीक से खाया भी नहीं जाता, आप तो घर पर ही रहो, वही अच्छा होगा। लेकिन क्या आप भूल गये कि जब आप छोटे थे, और आपके माता पिता आपको अपनी गोद में उठाकर ले जाया करते थे। आप जब ठीक से खा नहीं पाते थे तो माँ आपको अपने हाथ से खाना खिलाती थी, और खाना गिर जाने पर डाँट नही प्यार जताती थी। फिर वही माँ बाप बुढ़ापे में बोझ क्यों लगने लगते हैं? माँ-बाप भगवान का रूप होते हैं। उनकी सेवा कीजिये, और प्यार दीजिये क्योंकि एक दिन आप भी बूढ़े होगे । ✍️✍️✍️✍️.... मानवेन्द्र सिंह ( B.A political science ) ©manvendra singh pita putra #Anger