क्या कहूँ..कैसे कहूँ..किससे कहूँ मैं भरा जो दिल में दर्द किससे बयाँ करूँ मैं भटकी अब तक उसकी यादों में बहुत मै नहीं समझा सकी दर्द-ए-दिल उसको मैं आखिर दिल के दर्द को अल्फ़ाजों में ढाल बैठी मैं जो कह ना सकी उससे काग़ज़ से कह बैठी मैं नहीं चाहती उसकी नज़रें करम अब मै ख़ुश हूँ अल्फ़ाजों में दर्द को बयान कर मैं...! 🌹 "प्रिय लेखकों" कृपया "Caption" को ध्यानपूर्वक पढ़े। आज के शब्द है👉 🌸"दर्द बने अल्फ़ाज़"🌸 🌻"Dard Bane Alfaaz"🌻