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कठोर (दोहे) हिय कठोर अब ये कहे, मैं ही हूँ सरताज।

कठोर (दोहे)

हिय कठोर अब ये कहे, मैं ही हूँ सरताज।
होते सब भय - भीत हैं, करता ऐसा काज।।

जो कहता वो मानते, कर न सके इंकार।
रुतबा मेरा देख कर, झुकता ये संसार।।

पल पल दहशत में कटे, रहे नहीं कुछ सूझ।
वाणी कहूँ कठोर जब, थम जाती तब बूझ।।

ऐसा ही वह सोचता, करने को हुड़दंग।
संकट में भी डालता, बनकर रहे दबंग।।

नहीं समझ उसको अभी, बनता वह नादान।
थामे रहे कठोरता, ये उसका अभियान।।

वाणी करे कठोर वह, मिले नहीं सम्मान।
जीवन में संताप है, कहाँ उसे अब भान।।

दुविधा में जब खुद पड़ा, तभी पीटता माथ।
संगी साथी छोड़ते, बढ़े नहीं तब हाथ।।
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देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit 
  #कठोर #दोहे #nojotohindi 

कठोर

हिय कठोर अब ये कहे, मैं ही हूँ सरताज।
होते सब भय - भीत हैं, करता ऐसा काज।।

जो कहता वो मानते, कर न सके इंकार।
deveshdixit4847

Devesh Dixit

New Creator

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