आज जब मिला उनसे तो कुछ कह नहीं सका ना वोह कुछ बोल पा रही थी और ना में कुछ बोल पा रहा था.... लेकिन हर बार उसका पूरा हाथ उसकी काली घनी ज़ुल्फो में जा रहा था सायद कोई पुराना ख्याल य़ा कोई किस्सा उसकी बेचैनी को बड़ा रहा था.. लेकर गया था कुछ चाँकलेट के डब्बे और मैने उसके हाथों मैं थमा दिया था अब थोडी सी मुस्कान तो उसके चैहरे पर भी आयी थी दिल मे अब मेरे भी एक छोटी सी नज्म उसके लिए आयी थी... पर में उसे जो सुनाने लगा उससे पेहले ही उसने कहा आप से कोई परदा ना रह जाये इस लिए कुछ बताना बैहद ज़रूरी है... हम सोच मे थे पर दिल दिमाग़ और कानो में हम कौन सा कोई परदा लगा कर हुए गये थे वोह बोली मत करना इतनी मोहब्बत हमसे हम साथ जन्मो के बन्धन किसी और के साथ बाँध आये है.. बात सून कर उनकी अब हमारे नीचे ज़मी तक नहीं थी जब देखा बातें करते करते उसने मेरी आँखो मे आँख डाले बाते हम भी अब समझ गए थे... और उनका हाथ पकड कर हम भी बोल दिये की लगता है अक्सर कटी है बंद कमरो मैं तन्हा अकेले राते तुम्हारी वोह कुछ देर चुप रही और शब्र के घूट पीने लगी... और थाम कर हाथ अब मेरा वोह अपना दर्द बया करने लगी कुछ थक कर अब खुद ही वोह कांधे पर सर रख कर रोने लगी हम तो खामोश बैठ कर खुद पर ही सवाल कर रहे थे लम्बी दास्तां थी उनकी हम तो बस चुप चाप सूनते ही रहें.. अब करते करते अपनी बाते वोह भी मुद्दे पर आई बोल दिया अक्सर खामोशी में तन्हा काटी है राते मैंने क्या कभी देखा है तुमने हरी भरी ज़मी को बंजर होते कोई जबाब ना था ना कोई सवाल था... उनके हर दर्द सुनने में मैं भी तो अब भागीदार था मैने भी थाम लिया अब हाथ उनका सायद उनको मुझसे भी यही सब चाहीए था थोड़ी और बाते हुई और सब अच्छा लगने लगा... कोई कुछ भी कहें पर मैंने कह दिया उसको की तेरा दिल बहोत ही साफ और सच्चा हैं उसने भी पलट कर यही सब मुझे बोल दिया कभी आना वक़्त निकाल कर मिलने मुझसे मेरे पास भी सिंगल और एक तन्हा कमरा है अचानक कान में उसने मेरे बोल दिया... हाथ मे हाथ थाम कर हम थोड़ा मुस्काये और प्यार से बोल आये कभी मिलना हो तो बस सच्चे दिल से आवाज़ लगाये... अभी तो अधुरी मुलाकत ही है पर वोह मिलने का फ़िर से ज़ाते ज़ाते मुलाकात को पूरा करने का वादा आज मुझसे कर गयी हैं दिन और तारीख भी कानो में बता कर गयी हैं... अभी कहानी अधुरी है उसकी और मेरी मिलकर जल्द ही मुझे उस बंद कमरे की उसकी तन्हा रात भी तो दूर करनी है... सायद तुम पढ़लो आज की लिखी हुई कहानी अपनी और मेरी पर लिखते वक्त संदीप काशीपुर वाले ने कौन सा मुलाकत की जगह और तुम्हारी तस्वीर ज़माने के सामने रखदी है..! #सैंडी_भाई ©Saindy Bhai Sandeep #crimestory