पहले महँगी थी अब सस्ती चल रही है नाम पे मोहब्बत के मस्ती चल रही है वो वक़्त और था चलती थी पतवार से अब तो मोटर लगा कर कश्ती चल रही है बोहोत कर चुके बुतपरस्ती का विरोध अब झेलो जो बंदा परस्ती चल रही है जी एस टी के डर से रूह बेच दी सबने दुनिया को दिखाने बस अस्थि चल रही है काँच और धागे सी टूटी थी जो कभी मिलके मांझा हुई तब ये हस्ती चल रही है पहले महँगी थी अब सस्ती चल रही है नाम पे मोहब्बत के मस्ती चल रही है वो वक़्त और था चलती थी पतवार से अब तो मोटर लगा कर कश्ती चल रही है बोहोत कर चुके बुतपरस्ती का विरोध अब झेलो जो बंदा परस्ती चल रही है