दुनिया सूरत सवारने में मशगूल थी मैं सीरत निखराता चला इस दुनिया के बाद भी दुनिया है मैं नीयत निखरता चला ज़िन्दगी की चकाचौंध में हम इतने व्यस्त हो गए है की हम खुद खुदा को ही भूल गए है! सफ़ीना- जहाज़ क़रीने- सजावट, जाहोजलाली ग़रकाब- लीन, डूबा हुआ कारवां- यात्रीदल ना-ख़ुदा- नाविक तगाफुल- उपेक्षा