बूंद-बूंद करके मिट्टी में समाती है बारिश जैसे धरती ने बादल से की हो सिफारिश फिर भी प्यास दिलों की बुझती नहीं है हम अश्कों को पानी समझने लगे हैं किस्मत से सबको शिकायत यही है जो हासिल है उससे मोहब्बत नहीं है ख्वाहिशें भी ज़िदंगी का हिस्सा हैं लेकिन हम जरूरत से ज़्यादा मचलने लगे हैं... ©abhishek trehan प्यास नहीं बुझती मन की... #प्यासनहींबुझती #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine #manawoawaratha #zindagikasafar Collaborating with YourQuote Didi