जो जैसे बिकता है उसको वैसा ही खरीदा जायेगा कब तक फिर ये माँ रोएगी, कब अच्छा वक्त वो आएगा हमको तुमको क्या पता था वो नेता बन पलट जाएगा वो कहता था जो हमको अपना, खून के आँशु रुलाएगा कब तक फिर ये माँ रोएगी, कब अच्छा वक्त वो आएगा वो जब नहीं था तब कुछ था, जब कुछ है तो कुछ भी नहीं दर्द में तेरे तुझको ही वो मजबूरी अपनी गिनाएगा खरीद फरोक्त में वो मसगुल हैं, ये देश फिर कौन चलाएगा जो जैसे बिकता है उसको वैसा ही खरीदा जायेगा कब तक फिर ये माँ रोएगी, कब अच्छा वक्त वो आएगा ©Traveling poet 🎠 #दोटूक #गंदी_राजनीति #India