मेरी माँ मेरा सपना ना होता ये जीवन, ना साँसे ये आती, अगर कोख माँ की हमें मिल ना पाती ! ना होता ये तन , ना ये ताकत भी आती, अगर दो निवाले भी माँ ना खिलाती !! मायूसियों से निकल भी ना पाते, अगर खिलखिलाकर के माँ ना हंसाती, कहाँ गलतियों से कभी सीख लेते, अगर चार थप्पड़ भी माँ ना लगाती !! चोटें खरोंचे कहाँ ठीक होती, अगर माँ ना जख्मों पे मरहम लगाती ।। कहाँ उलझनों से कभी पार पाते, अगर गोद माँ की सिरहाने ना आती ! पूरी कविता हमारे यूट्यूब चेंनल पर जरूर सुनें 🙏🙏 www.youtube.com/kaviniketan #sapne #maa #माँ #माँ के लिए कविता