कौन समझेगा मेरी पीर को मेरे हिय में अब कोई आस नहीं जाने कब उड़ाता था गगन गगन अब रह गया पिंजरे का बास ही कितनों ने बनाये मेरे लिए लोहे,सोने,चाँदी के पिंजरे जाकर उनसे कोई कहदे मुझे महलों से प्यार नहीं। मुझे उड़ाना है डाल डाल और कोई मेरी आस नहीं। माँ चुंगकर लाती थी दाना उसने सिखाया मुझे उड़ना डाल डाल उड़ा पात पात झूला गगन को चूमा धरती को छूआ। बचपन की स्मृतियाँ हुई ख्वाब सी। पिंजरे में ही रहूंगा या आहार बनूँगा या चढ़ूँगा बली या लगेगी बोली कैद में फड़फड़ा रही मेरी जिंदगी जीव हत्या पर कैसे मिलेगा सुख ये किसी को आभास नहीं । कौन समझेगा मेरी पीर को मेरे हिय में अब कोई आस नहीं। पारुल शर्मा पंछी आकाश में उड़ते ही अच्छे लगते है। कैद किसी को नहीं भाती #2liner #nojotohindi#nojoto#nojotoquotes#nojotoofficial#hindi#shayari#hindipoetry#poetry#sher#हिन्दीकविता#शेर#शायरी#कविता#रचना#h#kavishala#hindipoet#TST#Kalakash#Faiziqbalsay#motivation#kavi#kavishala#kavi# #कवि#life#शायर#कवि#life#जीवन #इश्क #मोहब्बत #प्यार #love #azaad