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बरसों बीत गये उस घर से विदा हुये

बरसों बीत गये
        उस घर से विदा  हुये
            बरसों बीत गये
       न ई दुनिया बसाये हुये
    फिर भी याद आते हैं वो पल
    जो हमने थे वहां बिताये हुये
    रम गई हूं इस न ई जिन्दगी में
 घर परिवार और बच्चों की खुशी में
       फिर भी जब भी आता है
           नाम मां के घर का
  खो जाती हूं , उस घर की कहानी में
              कुछ पुरानी बातें,
               कुछ पुरानी यादें,
              जिन्दा हैं आज भी,
          वो कहीं ,कुछ रिश्ते नाते ।
               फुरसत में ही सही
           कुछ पल के लिये ही सही,
   चाहती हूं जीना, फिर से वही जिन्दगी
      .     ये मेरी तमन्ना ही सही
       कितना भी बसा लो अपना घर
       पर याद आता ही है मां का घर
               खुद बन कर भी मां
        याद आती है सिर्फ अपनी मां

©POOJA UDESHI
  #maa #mamta #POOJAUDESHI #Rihan  Jiyalal Meena ( Official ) Mahi SumitGaurav2005 Subhash Chandra Sahib khan صاحب خان