अध्यापक कहूँ या मित्र? अंतर करना मुश्किल सा लगता है, क्योंकि मेरे जीवन के हर मोड़ पर आपने वही किरदार चुने जो मुझे हर बार गलतियों से बचाता और मुस्कुराने की नई वज़ह बनकर हर बार इस अंधेरे सफ़र से एक किरण उम्मीद की मेरी घबराई आंखों को दिखाता, आपने तब भी अपना किरदार बदला जब मैं जीवन के उस पड़ाव पर था जहाँ गलतियाँ होना लाज़मी था मगर उन गलतियों के साये में मैं कहीं खो न जाऊँ इससे पहले हर बार आपका हाथ मेरे हाथों को थाम लेता है आज भी किरदार अलग होते हैं पर हाथ वही... Happy Teachers Day #teacher_day