ज़िन्दगी को एक तफरी की तरह जी रहा हूँ तब ही तो बार बार ज़हर के घुट पी रहा हूँ और ये ज़हर याद नही , कब से पी रहा हूँ तभी ही तो एक सभ्य शैली की ज़िन्दगी जी रहा हूँ और ये ज़हर पीते पीते इतना ज़हरीला हो गया हूँ मन से कषैला और वाणी से बेहद विषैला हो गया हूँ । विष के मधुरतम प्रयोग के लिए विष कन्याओं का सहारा लिया जाता था विष के सहारे अपराध और वैमनस्यता को जड़ से उखाड़ दिया जाता था , पर आज अपराध औऱ वैमनस्यता को उखाड़ा नही सहेजा जाता हैं जैसे कोई सुवा प्रेमी अपने आंनद के लिए लाख प्रतिरोधों के बावजूद बेनागा मदिरालय जाता हैं ।। अब ये विषधरों के विष बेईमानी हो गए औऱ ये जंगलों के नही अब घर के वासी हो गए , ये घरेलू विषधर प्रातः भ्रम मुहूर्त से लेकर रात्रि के स्वपन मुहूर्त तक मन और मस्तिष्क पर इतने दंश मारते हैं मानों सारे घर को अपनी फुसकारियों से बुवारते हैं ।।। घर के अंदर आरोप और प्रत्यारोपण घर के बाहर भूख ,अत्याचार और वायु प्रदूषण , और बहुत कठिन हो गया जीवन घर्षण मन मे मण मण के पुनर पिरोता हूँ तभी ही तो बार बार ज़हर के घुट पिता हूँ । ज़िन्दगी को एक तफरी की तरह जीता हूँ , तफरी की तरह जीता हूँ तफरी की तरह जीता हूँ ।। #shareLove #Follow4Follow #punisheveryRapeist #Rajsthan #Rajsthancrime #shutdownStategovt.