सुबह शाम करते थे फिक्र आपकी, अब तुम्हारा जिक्र भी हमसे न होगा, चंद राते जगी थी हमने तुम्हारे खयालो में, तुम्हारे खयालो में डूबना अब हमसे न होगा।। बेवक़्त इन्तेजार किया करते थे हम आपका, अब तो थोड़ी देर रुकना भी हमसे न होगा, तारीफ की तो बात भी न कीजिये, उस पुरानी मोहब्बत का तराना हमसे न होगा।। ये तो बीती यादो का दर्या है, उसमे गोता लगाना हमसे न होगा, अगर तुम सोचते हो कि सोचते है हम तुम्हे, तो सुन लो तुम्हारे बारे में सोचना हमसे न होगा।। -गोपिकीसन हमसे न होगा।।,🔥🔥