अब मेरा बस मुझ पर नहीं है, जाने क्या लिखकर क्या बताता है। स्याही अब हथेलियों पर गिरा करती है, क्या सोचता है, और क्या लिखाता है। मेरी हाथों की लिखावट अब वो पढ़ता नहीं है, जाने फिर कैसे वो दुनिया में रिश्ते बनाता है, मेरे बस की कभी कुछ चलती नहीं है, रोता हूँ अगर माँ के लिए, पर वो बस पिता बताता है। मुझे अब किसी की नज़र नहीं लगती, मेरी माँ के हाथों से वो काजल लगाता है। जब घर में अँधियारा छा जाता है, तो वही खुदा बस बेटियां बनाता है। कि परिन्दे उड़ गए है तो उड़ जाने दो, लौटने के लिए वो आशियाँ बनाता है, जब सब साथ छोड़ जाए उसका, तो बस वो एक माँ बनाता है। सूरज तो फ़िजूल ही गुमान करता है खुद पर, अंधकार में वो हमें बस चाँद दिखाता है। जब अँधेरे में परछाई भी दूरिया बना ले, तब वो सर्वशक्तिमान भाई बनाता है। लौट आयी है हरियाली मेरे खलिहानों पर, उसकी रक्षा के लिए वह किसान बनाता है। एकता में बांध नीव को मजबूत करने के लिए, वो एकमात्र पिता बनाता है। #thought #family #nojotohindi #tst #familylove #poetry