खुदा का दर पहली मर्तबा नसीब हुआ हाजी अली को देख दिल उनके करीब हुआ सपना था या हकीकत दिल को ना यकीं हुआ इस फकीर को अपना दीदार-ए-हबीब हुआ Deedar-e-Habeeb