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मेरी माँ सच में माँ, सच्ची माँ एक लफ्ज़ इत्ता सा

मेरी माँ 
सच में माँ, सच्ची माँ 
एक लफ्ज़ इत्ता सा 
पर शब्द कोष में इससे बड़ा न कोई शब्द। 
खुद से पहले मुझे रखा मेरे लिए खुद को भुलाया। 
हमेशा बनी जमीं - आसमाँ सारा जहां। 
वह थी एक जादूगरनी करिश्मे से थी कम नहीं 
बिना बताए सब जानतीं 
बेटी पुकारा, चलाया, सिखाया,
खिलाया, केश संवारा, 
मुझे नहलाया, चमकाया मैंने जगाया उसने सुलाया 
पता नहीं उसने कब खाया ? 
मुझे नाम दिया मेरा परिचय बनाया - बढ़ाया 
उसके नेह का आंचल सूरज को भी डराता। 
कई किरदार निभाने वाली 
मेरी माँ ने 
सिर्फ़ और सिर्फ़.....,,, 
मुझे अपनी कोख से जन्म नहीं दिया....! 
मुझे अपनी कोख से जन्म नहीं दिया.....!! 
२१४/३६६  मेरी इस माँ ने मुझे जन्म नहीं दिया फिर भी यह सब कुछ मेरे लिए किया। अंतिम वाक्य में भी कविता का मर्म छिपा हो सकता है। इसलिए पूरी कविता पढ़ कर अनुभव करें। #माँकाप्यार
Y reeta-lakra-9mba
मेरी माँ 
सच में माँ, सच्ची माँ 
एक लफ्ज़ इत्ता सा 
पर शब्द कोष में इससे बड़ा न कोई शब्द। 
खुद से पहले मुझे रखा मेरे लिए खुद को भुलाया। 
हमेशा बनी जमीं - आसमाँ सारा जहां। 
वह थी एक जादूगरनी करिश्मे से थी कम नहीं 
बिना बताए सब जानतीं 
बेटी पुकारा, चलाया, सिखाया,
खिलाया, केश संवारा, 
मुझे नहलाया, चमकाया मैंने जगाया उसने सुलाया 
पता नहीं उसने कब खाया ? 
मुझे नाम दिया मेरा परिचय बनाया - बढ़ाया 
उसके नेह का आंचल सूरज को भी डराता। 
कई किरदार निभाने वाली 
मेरी माँ ने 
सिर्फ़ और सिर्फ़.....,,, 
मुझे अपनी कोख से जन्म नहीं दिया....! 
मुझे अपनी कोख से जन्म नहीं दिया.....!! 
२१४/३६६  मेरी इस माँ ने मुझे जन्म नहीं दिया फिर भी यह सब कुछ मेरे लिए किया। अंतिम वाक्य में भी कविता का मर्म छिपा हो सकता है। इसलिए पूरी कविता पढ़ कर अनुभव करें। #माँकाप्यार
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REETA LAKRA

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