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चिता जलती, हुई तुमको,नमन सौ बार करता हूँ। मिटाती द

चिता जलती, हुई तुमको,नमन सौ बार करता हूँ।
मिटाती दंभ तू सबका,तभी तो शीश धरता हूँ।।
तपिश तेरी,यहाँ पाकर,मिले यह ज्ञान सबको है।
पदों में हों,भले ऊंचा,यहाँ जाना,सभी को है।।
भरी है जब,यहाँ मिट्टी,बता फिर वैर क्यों भरना।
मिली थो जो,हमें भरकर,उसे खाली,हमें करना।।
भारत भूषण पाठक'देवांश'🙏🌹🙏

©Bharat Bhushan pathak #BoneFire  hindi poetry on life Hinduism hindi poetry sad poetry
चिता जलती, हुई तुमको,नमन सौ बार करता हूँ।
मिटाती दंभ तू सबका,तभी तो शीश धरता हूँ।।
तपिश तेरी,यहाँ पाकर,मिले यह ज्ञान सबको है।
पदों में हों,भले ऊंचा,यहाँ जाना,सभी को है।।
भरी है जब,यहाँ मिट्टी,बता फिर वैर क्यों भरना।
मिली थो जो,हमें भरकर,उसे खाली,हमें करना।।
भारत भूषण पाठक'देवांश'🙏🌹🙏

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