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व्यग्ंय - "लांबा - छोटा री नपाई" दिलीप हाड़ा "हर

व्यग्ंय - "लांबा - छोटा री नपाई"


दिलीप हाड़ा "हरप्रीत शशांक" व्यंग्य - "लांबा - छोटा री नपाई"

तड़के - तड़के ही पेपर म्ह बांचबा म्ह आयो के आज दशरावा म्ह सबस्यूँ लांबा अ'र सबस्यूँ छोटा मिनख री नपाई री परतियोगिता होसी तो म्हूँ भी सोच्यो क म्हूँ भी जायाऊँ, तो साब चल्यो ग्यो म्हूँ भी लेर मूंडो, धक्का खातो थको टैम्पी र मांय, टैम्पू आळा की पूछो ही मतो बकरया की नांई ठूंसे छ सवारया न , अेक टाबर ने तो आगे तकता पे बैठया प ही धार चला दी मूत की , ऊँ तो समझेडो मिनख हो ने तो माथे ही आ जातो .. दशरावा म्ह पूग्यो तो चक'कर खा ग्यो देख'र बारणा घणा सारा, फेर सिमझ आई क जी'पर टैंट लाग्यो हुयो छ वो ही तोरण दवार छ तो फेर व्हीमें ही गुस ग्यो, फेरूँ धक'का मुक'की आग्या, लोग- बाग टसड़का दे दे'र चाळे, अ'ब कांई करू बेगो सोक निकळ'र भीड स्यूँ पूँच ग्यो, ज्यां कारयकरम चाल रयो हो !

म्हूँ भी जा'र नांव मंडायो अ'र खडो हो ग्यो लैण म्ह सब्या के साथे , अ'ब साब लोग आया जो फैसळो करबा आळा ह के कूण लांबो अ'र कूण छोटो, मने देख'र बोल्या थे कांई लेबा आया छो, थे न तो छोटा अ'र न ही जादा बडा, तो फैळ्या तो मारे थांई अेक आडी बैठा दयो फेर बाद म्ह कणा कांई जँची के मास्यूँ बोळ्या थे नपती कर लेस्यो क यांकी,मने हामळ भर ली, तो म्हारे थांई नापबा आळो बणा दयो ग्यो, अ'र साब नापबा को फीतो तो देखो 135 बरसा स्यूँ अेरेड़ो ही चाल रयो छ 
( आपणा निगम आळा घणा पीस्या बचावे छ , अब'र क भी तो फाळतू को खरचो बचाबा काणे ही रावण क अेक माथो न लगा'र घणा सांवठा पीस्या बचाया छ, पण की तो आतमा ही बळ री'वगी दसकन्दर स्यूँ नवकन्दर ही रैग्यो बापडो )

तो फेर मस्यूँ लांबा- छोटा मिनखा ने नपवाबा को काज चाळ्यो तो छोटा तो मने आसाणी स्यूँ नाप ल्या, रंगबाडी को 'गज्यो' तो अढाई फीट को ही कडयो,पण बाता को बाप छ अ'र उ जदे भी बोले बीचा- बीचा म्ह गाळ्या काड'बो न भूळे तो व्हींरी बाता स्यूँ कारयकरम म्ह भी मजो आ रयो छो,अेक बा'री तो उ री गाळी अेक मैडम न भी सुण ली पण कांई नी बोळी मैडम जी, तो यो तय होयो क "कोटा का छोटा" रो तमगो "गज्या" ने मळसी ..
व्यग्ंय - "लांबा - छोटा री नपाई"


दिलीप हाड़ा "हरप्रीत शशांक" व्यंग्य - "लांबा - छोटा री नपाई"

तड़के - तड़के ही पेपर म्ह बांचबा म्ह आयो के आज दशरावा म्ह सबस्यूँ लांबा अ'र सबस्यूँ छोटा मिनख री नपाई री परतियोगिता होसी तो म्हूँ भी सोच्यो क म्हूँ भी जायाऊँ, तो साब चल्यो ग्यो म्हूँ भी लेर मूंडो, धक्का खातो थको टैम्पी र मांय, टैम्पू आळा की पूछो ही मतो बकरया की नांई ठूंसे छ सवारया न , अेक टाबर ने तो आगे तकता पे बैठया प ही धार चला दी मूत की , ऊँ तो समझेडो मिनख हो ने तो माथे ही आ जातो .. दशरावा म्ह पूग्यो तो चक'कर खा ग्यो देख'र बारणा घणा सारा, फेर सिमझ आई क जी'पर टैंट लाग्यो हुयो छ वो ही तोरण दवार छ तो फेर व्हीमें ही गुस ग्यो, फेरूँ धक'का मुक'की आग्या, लोग- बाग टसड़का दे दे'र चाळे, अ'ब कांई करू बेगो सोक निकळ'र भीड स्यूँ पूँच ग्यो, ज्यां कारयकरम चाल रयो हो !

म्हूँ भी जा'र नांव मंडायो अ'र खडो हो ग्यो लैण म्ह सब्या के साथे , अ'ब साब लोग आया जो फैसळो करबा आळा ह के कूण लांबो अ'र कूण छोटो, मने देख'र बोल्या थे कांई लेबा आया छो, थे न तो छोटा अ'र न ही जादा बडा, तो फैळ्या तो मारे थांई अेक आडी बैठा दयो फेर बाद म्ह कणा कांई जँची के मास्यूँ बोळ्या थे नपती कर लेस्यो क यांकी,मने हामळ भर ली, तो म्हारे थांई नापबा आळो बणा दयो ग्यो, अ'र साब नापबा को फीतो तो देखो 135 बरसा स्यूँ अेरेड़ो ही चाल रयो छ 
( आपणा निगम आळा घणा पीस्या बचावे छ , अब'र क भी तो फाळतू को खरचो बचाबा काणे ही रावण क अेक माथो न लगा'र घणा सांवठा पीस्या बचाया छ, पण की तो आतमा ही बळ री'वगी दसकन्दर स्यूँ नवकन्दर ही रैग्यो बापडो )

तो फेर मस्यूँ लांबा- छोटा मिनखा ने नपवाबा को काज चाळ्यो तो छोटा तो मने आसाणी स्यूँ नाप ल्या, रंगबाडी को 'गज्यो' तो अढाई फीट को ही कडयो,पण बाता को बाप छ अ'र उ जदे भी बोले बीचा- बीचा म्ह गाळ्या काड'बो न भूळे तो व्हींरी बाता स्यूँ कारयकरम म्ह भी मजो आ रयो छो,अेक बा'री तो उ री गाळी अेक मैडम न भी सुण ली पण कांई नी बोळी मैडम जी, तो यो तय होयो क "कोटा का छोटा" रो तमगो "गज्या" ने मळसी ..