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थी नाज़ुक उनकी सांसे और हाथ कुछ लर्ज़ीदा वो चराग जला

थी नाज़ुक उनकी सांसे और हाथ कुछ लर्ज़ीदा
वो चराग जलाने गए और मैने चराग बुझा दिया..

समर बटालवी #MilanShayri
थी नाज़ुक उनकी सांसे और हाथ कुछ लर्ज़ीदा
वो चराग जलाने गए और मैने चराग बुझा दिया..

समर बटालवी #MilanShayri