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हम तो अक्सर बैठकर तमाशे देखते है, खुद के साथ खेले

हम तो अक्सर 
बैठकर तमाशे देखते है,
खुद के साथ खेले 
जा रहे खेल को,
वरना वक्त का ही 
तकाजा था कभी, 
तुम तरसते थे जब बढ़ाने 
हमारे साथ मेल को,
वक्त की दो-चार करवटें 
और बदले से उनके वो रंग,
याद रखना भुलते 
नहीं है हम,
समय आएगा और 
पर तब कभी खुद को
उस जगह नहीं पाएगा||
#Sobbersoulwrites हम तो अक्सर 
बैठकर तमाशे देखते है,
खुद के साथ खेले 
जा रहे खेल को,
वरना वक्त का ही 
तकाजा था कभी, 
तुम तरसते थे जब बढ़ाने 
हमारे साथ मेल को,
हम तो अक्सर 
बैठकर तमाशे देखते है,
खुद के साथ खेले 
जा रहे खेल को,
वरना वक्त का ही 
तकाजा था कभी, 
तुम तरसते थे जब बढ़ाने 
हमारे साथ मेल को,
वक्त की दो-चार करवटें 
और बदले से उनके वो रंग,
याद रखना भुलते 
नहीं है हम,
समय आएगा और 
पर तब कभी खुद को
उस जगह नहीं पाएगा||
#Sobbersoulwrites हम तो अक्सर 
बैठकर तमाशे देखते है,
खुद के साथ खेले 
जा रहे खेल को,
वरना वक्त का ही 
तकाजा था कभी, 
तुम तरसते थे जब बढ़ाने 
हमारे साथ मेल को,
suresh1270133094145

Sobersoul

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