।।किसान-धरतीपुत्र।। खेतों में मेहनत करता है किसान। जैसे देश की सीमाओं पे डटा है जवान। सर्दी गर्मी वारिश कोई भी मौसम हो। कपता तपता पानी मे भीगे,रहता है पसीना-पसान। फसलों को पालता सम्भालता देख-देख मुस्काता किसान। देता हम सब को अन्न का दाना। बहुत कठिन है फसल उगाना। उसने ही धरती माँ को पहचाना। सबको इक दिन मिट्टी में मिल जाना। उसकी गर्जन से काँपे सत्ता शत्रु और मित्र। है किसान ये कहलाता धरती पुत्र। बृन्दावन बैरागी "कृष्णा" ©Brandavan Bairagi "krishna" ।।धरती-पुत्र।। #Happy