दुःखों में सुकून की "छाँव" हैं पिता खुशियों का "प्यारा" गाँव हैं पिता ग़म की हर धूप में "छाँव" हैं पिता संघर्ष में खेला, हर "दाव" हैं पिता सूरज की रोशनी से महकता संसार पिता की रोशनी से महकता परिवार राह दिखाते, ज़िन्दगी के सारथी पिता भटक जाऊँ मैं ग़र तो थामते हैं पिता पिता की छाँव में महफ़ूज़ ज़िंदगी मेरी मेरे "पिता" ही हैं अब "बन्दगी" मेरी ♥️ Challenge-605 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ Happy Father's Day ♥️ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए।