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किस्मत o का खेल है यहां कोई बिछड़कर भी मिल जाता ह

किस्मत o का खेल है यहां कोई
 बिछड़कर भी मिल जाता है तो कोई 
मिलकरभी बिछड़ जाता है होता नहीं
 यहां कोई किसी का दर्द में अपना ही 
काम आता है किसी ने छोड़ रखी
 है जिंदगी किसी ओर के भरोसे ओर 
कोई ऊपरवाले पर सबकुछ छोड़ चूका 
है कोई घमंड कर रहा है अपनी डिग्रियों 
का तो कोई उन्हें नदियों में बहा आया है,
कोई एक खरोच से भी जिंदगी 
छोड़ चुका है तो कोई मौत कोई मौत को
 छूकर वापस आया है।

©Mrinal Malviya
  #किस्मत_का_खेल