मैं कोई किनारा हो जाऊ,तुम बनकर पवित्र नर्मदा बहाना । जब डूबू सांझ को सूरज सा ,तुम मेरी लाली में रहना । मैं कोई गोताखोर बनूं, तुम सिक्का एक का हो जाना । बहु किसी पुरवाई सा , आगोश में मेरी सो जाना । मैं कोई रेशम का कीड़ा, तुम मुझमें निकला पाट बनो । मैं बनूं शाम जबलपुर की ,तुम नर्मदा भेड़ाघाट बनो । #jabalpur #narmadaghat #bhedaghat