अब तो घबरा के ये कहते हैं कि मर जाएँगे मर के भी चैन न पाया तो किधर जाएँगे तुम ने ठहराई अगर ग़ैर के घर जाने की तो इरादे यहाँ कुछ और ठहर जाएँगे ख़ाली ऐ चारागरो होंगे बहुत मरहम-दाँ पर मिरे ज़ख़्म नहीं ऐसे कि भर जाएँगे 'ज़ौक़' जो मदरसे के बिगड़े हुए हैं मुल्ला उन को मय-ख़ाने में ले आओ सँवर जाएँगे © शेख़ इब्राहिम ज़ौक़ #NojotoQuote शेख़ इब्राहिम की एक ग़ज़ल। पूरी ग़ज़ल बहुत लंबी है इसलिए नहीं पोस्ट किया। #ghazal #poetry #poemsporn #hindipoetry #urdupoetry #poetrylovers #nazm #shayari