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वाकिफ़ हूँ यूँ तो मैं दस्तूर ए इश्क़ से पर अंजाम की

वाकिफ़ हूँ यूँ तो मैं दस्तूर ए इश्क़ से 
पर अंजाम की फ़िक्र कर रहूँ तुमसे दूर भी कैसे
मंज़िल गुमशुदा ही सही रास्ते का सुख भी कम तो नहीं
 थाम के एकदूजे का हाथ  चल चलें दूर कहीं

©Nirupa Kumari
  #Dastur_e_Ishq