सुप्रभात.... सादर अभिवादन मित्रों ! मुखिया मुखु सो चाहिऐ खान पान कहुँ एक | पालइ पोषइ सकल अंग तुलसी सहित बिबेक || बाबा तुलसी कहते हैं कि मुखिया मुख के समान होना चाहिए, जो खाने-पीने को तो अकेला है लेकिन विवेकपूर्वक सब अंगों का पालन-पोषण करता है.