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चूक गया जो लक्ष्य तुम्हारा, पर अफ़सोस नहीं जतान

चूक गया जो  लक्ष्य  तुम्हारा, पर अफ़सोस  नहीं जताना है,
साधना कर प्रयास पुनः, तुम्हें हर हाल में लक्ष्य को पाना है।

धीरे - धीरे  चलकर  भी  कछुआ, दौड़ में  जीत  जाता है, 
एक-एक  तिनके  सजाकर  पंछी, अपना  नीड़  बनाता है।

चीटीयाँ सर पर  दाना लेकर, सौ बार  फिसलती चढ़ती है,
बार-बार  गिरकर भी मकड़ी, अपनी साहस नहीं गंवाती है।

सोच सोचकर  व्यर्थ में तुम्हें, अपना समय  नहीं गवाना है,
बन एकलव्य  कर दान अंगूठा, हार कर भी जीत जाना है। 👉 ये हमारे द्वारा आयोजित प्रतियोगिता संख्या - 9 है, आप सभी को दिए गए शीर्षक के साथ Collab करना है..!

👉 आप अपनी रचना को आठ पंक्तियों (8) में लिखें..!

👉 Collab करने के बाद Comment box में Done जरूर लिखें, और Comment box में अनुचित शब्दों का प्रयोग न करें..!

👉 प्रतियोगिता में भाग लेने की अंतिम समय सीमा कल सुबह 11 बजे तक की है..!
चूक गया जो  लक्ष्य  तुम्हारा, पर अफ़सोस  नहीं जताना है,
साधना कर प्रयास पुनः, तुम्हें हर हाल में लक्ष्य को पाना है।

धीरे - धीरे  चलकर  भी  कछुआ, दौड़ में  जीत  जाता है, 
एक-एक  तिनके  सजाकर  पंछी, अपना  नीड़  बनाता है।

चीटीयाँ सर पर  दाना लेकर, सौ बार  फिसलती चढ़ती है,
बार-बार  गिरकर भी मकड़ी, अपनी साहस नहीं गंवाती है।

सोच सोचकर  व्यर्थ में तुम्हें, अपना समय  नहीं गवाना है,
बन एकलव्य  कर दान अंगूठा, हार कर भी जीत जाना है। 👉 ये हमारे द्वारा आयोजित प्रतियोगिता संख्या - 9 है, आप सभी को दिए गए शीर्षक के साथ Collab करना है..!

👉 आप अपनी रचना को आठ पंक्तियों (8) में लिखें..!

👉 Collab करने के बाद Comment box में Done जरूर लिखें, और Comment box में अनुचित शब्दों का प्रयोग न करें..!

👉 प्रतियोगिता में भाग लेने की अंतिम समय सीमा कल सुबह 11 बजे तक की है..!