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रोज घर आता हूं और तुझे ढूंढता हूं सोचता हूं एक दिन

रोज घर आता हूं और तुझे ढूंढता हूं
सोचता हूं एक दिन तुम मिल जाओगी..
मै सबसे बात करता हूं तुम्हारी
और अकेला होता हूं तो याद आती है तुम्हारी..
कभी हंसी आती है "
जब तुम होती हो मेरे साथ मेरे एहसासों में
और कभी आंखों में आंसू "
जब हकीकत में दिखती हो मेरे बीते पलों में...
मै जी तो रहा हूं
पर बिना जीने की इच्छा के..
रोज सोचता हूं ये आखिरी रात हो मेरी
फिर मै भी संग उस दुनिया में रहूंगा तेरी,
और हम, फिर मिल जायेंगे पहले की तरह....

क्यूं अब तेरे साथ होने का कोई एहसास नही है
मै तेरे बिना नही जी सकता, क्या तुझे इसका अंदाजा नही है । 
(Forever SDSJ)

©Bhoomi
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