एक ख्वाब... कुछ लम्हे तो उसकी बनके जी लेने दो..... नाता जिस्म से नहीं मेरा तो रुह के साथ चलने दो, मुसाफिर नहीं मै उस रास्ते की पर उस राह को चुन लेने दो, दिल धड़कन सब फना है उसपे थोड़ी बंदिसे आज तोड़ लेने दो, वो मेरा नहीं है जानकर भी वो सिर्फ मेरा है यह मान लेने दो, कुछ लम्हे तो उसकी सिर्फ उसी की बन कर जी लेने दो..... कहीं बदल ना जाए ये जज्बात आज मेरी रूह को मेरे जिस्म से दुर जाने दो...... ©Sneha Mishra ek Khwab