मुकम्मल इस 'मोहब्बत' का यह सफ़र होने को है मैं उसकी इबादत और वो मेरा 'ख़ुदा' होने को है हर लम्हा इंतज़ार अब उस पे मेरा हक्क होने को है क्या कहूँ? रात और ख़्वाब का मिलन होने को है बेसब्र है यह दिल मेरा 'साँस' इधर-उधर होने को है नयन तरसते है मेरे, 'प्रेम' बरसात आज होने को है लम्हा यह हसीन मेरी मांग में 'सिंदूर' तेरा होने को है साथ फेरे होंगे संग तेरे, ख़ुद पर नाज़ अब होने को है ♥️ Challenge-788 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।