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तुम तो दो कुल की मर्यादा हो, तुम तो हो अपने परिवार

तुम तो दो कुल की मर्यादा हो, तुम तो हो अपने परिवार का साज,
अपनी गरिमा को बनाए रखना बेटियाँ, तुम हो मात पिता का ताज।
चन्द मिनटों के मोहब्बत में, बहक मत जाना बेटियाँ तुम भी आज़,
काट कर पैंतीस टुकड़े करे तुम्हारी, फिर टूटे किसी श्रद्धा का विश्वास।
स्वतंत्रता मिली जरूर आपको, पर उपयोग करना मर्यादा में रहकर,
पर कुछ ऐसा भी मत कर जाना, जिससे झुके मात पिता का सर।
मत चोट पहुँचाना मात पिता को, गर निकल गई इनके दिल से आह,
फिर कभी सफ़ल नही हो सकता बहन, प्रेमी संग तुम्हारा प्रेम विवाह।
विश्वास करना बेटियाँ अपनों पर, संस्कारों की ना कभी बलि चढ़ाना,
इन हैवानों की हैवानियत के आगे, फिर कभी तुम मत झुक जाना।
मत तोड़ना बेड़ियों को अपने, मेरी बहना कुल की इज्जत हो आप
कबूल मत करना लव ए जिहाद को, जिससे मुँह छिपाते रहे माँ बाप
तुम श्रद्धेय, तुम पूजनीय, तुम वन्दनीय, नही कोई इस्तेमाल की चीज
मत आने देना कभी ये वक्त दोबारा, काट रख दे कोई तुमको फ्रीज
गर कभी कदम लड़खड़ा जाए तुम्हारे, तन पर चढ़े इश्क़ का बुखार
याद कर लेना बहनों इस कुकृत्य को, फ़िर देना तुम उसको धिक्कार
बस इतना ही कहना है बहनों, रख लेना मेरे भी इन शब्दों का मान,
बेटी बहन हो आप सब किसी की, टूटने ना देना उनका गौरव सम्मान।
दे रही हूँ विराम अब कविता को, मेरी पंक्तियां श्रद्धेय तुमको समर्पित,
उदय दुलारी नेह शीश झुकाए, कर रही चरणों में तुमको पुष्प अर्पित। #नेह_की_गाथा
#NUBGupta
#yqdidi
#yqbaba
Sandeep Pathak 
मो ज मुठाळ 
पल्लव सागर 
Anmol Ratan
तुम तो दो कुल की मर्यादा हो, तुम तो हो अपने परिवार का साज,
अपनी गरिमा को बनाए रखना बेटियाँ, तुम हो मात पिता का ताज।
चन्द मिनटों के मोहब्बत में, बहक मत जाना बेटियाँ तुम भी आज़,
काट कर पैंतीस टुकड़े करे तुम्हारी, फिर टूटे किसी श्रद्धा का विश्वास।
स्वतंत्रता मिली जरूर आपको, पर उपयोग करना मर्यादा में रहकर,
पर कुछ ऐसा भी मत कर जाना, जिससे झुके मात पिता का सर।
मत चोट पहुँचाना मात पिता को, गर निकल गई इनके दिल से आह,
फिर कभी सफ़ल नही हो सकता बहन, प्रेमी संग तुम्हारा प्रेम विवाह।
विश्वास करना बेटियाँ अपनों पर, संस्कारों की ना कभी बलि चढ़ाना,
इन हैवानों की हैवानियत के आगे, फिर कभी तुम मत झुक जाना।
मत तोड़ना बेड़ियों को अपने, मेरी बहना कुल की इज्जत हो आप
कबूल मत करना लव ए जिहाद को, जिससे मुँह छिपाते रहे माँ बाप
तुम श्रद्धेय, तुम पूजनीय, तुम वन्दनीय, नही कोई इस्तेमाल की चीज
मत आने देना कभी ये वक्त दोबारा, काट रख दे कोई तुमको फ्रीज
गर कभी कदम लड़खड़ा जाए तुम्हारे, तन पर चढ़े इश्क़ का बुखार
याद कर लेना बहनों इस कुकृत्य को, फ़िर देना तुम उसको धिक्कार
बस इतना ही कहना है बहनों, रख लेना मेरे भी इन शब्दों का मान,
बेटी बहन हो आप सब किसी की, टूटने ना देना उनका गौरव सम्मान।
दे रही हूँ विराम अब कविता को, मेरी पंक्तियां श्रद्धेय तुमको समर्पित,
उदय दुलारी नेह शीश झुकाए, कर रही चरणों में तुमको पुष्प अर्पित। #नेह_की_गाथा
#NUBGupta
#yqdidi
#yqbaba
Sandeep Pathak 
मो ज मुठाळ 
पल्लव सागर 
Anmol Ratan