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जो भी लिख रहा हूँ पता नहीं क्यु लिख रहा हूँ बस दिल कह रहा था पन्नो पर उतार दो तो बस उतार रहा हूँ! 
बात उस दिन की है,जिस दिन दोपहर को घर से बाहर निकला था साथ में मां भी थी, उसे हॉस्पीटल लेकर जाना था मौसम बडा साफ था, तो माँ को बाइक पर ही लेकर निकल गया, अपने शहर से दुसरे शहर जाना था,
 आधे रास्ते में ही बारिश शुरू हो गई, तो एक जगह मां को लेकर रुख गया, सोचा बारिश रुकने पर वापस चला जाऊँगा क्युकी मां साथ में थी भीगा जाती तो तकलीफ होती, पर बारिश रुख गई तो घर की तरफ मौसम खराब दिख रहा था और शहर की तरह साफ, क्या करूं पता नहीं चला बिना सोचें ही शहर की तरह निकल पड़ा मौसम तो साफ दिखाई दे रहा था पर आगे जाने पर मौसम ने पलभर में ही रुक बदल दिया शहर के पास चला गया था और घर से काफी दूर, देखते देखते जोर से बारिश शुरू हो गई, हम फिरसे रुख गये पर इस बार पुरे भीग चुके थे और थंड भी लग रही थी, आखिर बोहोत देर के बाद बारिश फिरसे रुक गई इस बार भी वही था घर के तरफ मौसम खराब दिख रहा था और शहर के तरफ पुरा साफ, क्या करते, उस शहर में मां का भाई यानी मामाजी रहते थे, सोचा उनके पास चले जाते हैं,और निकल गये हम वहासे शहर कि तरफ पर वहां पर पोहचेभी नहीं की कुछ इस तरह बारिश शुरू हुई मानों आसमान फट गया हो, 
हमें सामने दिख रही परिस्थिति का अंदाजा हुआ, हमनें एक टॅक्सी रोखदी उसमें मां को जाने केलीये कहा पर माँ सुन नहीं रही थी, हमनें बोहोत समझाया पर माँ मानने कोई तैयार नहीं थी, पर खुस्से में आकर हमनें मां को उसमें बैठा दिया और उसको मामाजी के यहां जाने को कहा, और हम बाइक पर आगे जाने लगे पर बारिश इतनी थी कि रास्ते पानी के वजह से बंद हो ने वाले थे और कुछ देर बाद तो हमारी सांसे भी अटकनी शुरू हो गयी दिल की धड़कन जोर से बडनी लगी हम एक जगह रुख गये, शायद अपनी मौत और जिदंगी के बिच ही रुक गये थे, हमें कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है,एक बार लगा कि अब शायद मौत जीत जायेगी, हम पुरी तरह से काप रहे थे, हमारे नजरों के सामने सब दिखाई देने लगा था, अपनों के साथ बिताया वक्त, हमनें किये हुए बुरे काम, मानो तो बुरे कर्म, पता नहीं चल रहा था ऐसा क्यों हो रहा है, मन में तो यह भी आने लगा कि शायद मौत से पहले भगवान हमें अपने जिंदगी में किये हुए बुरे कर्मों से रुबरु करा रहा है, 
पर कुछ वक्त के बाद हमनें सोचा की इतने कम वक्त में हमनें बुरे कर्म देख लिये पर जिदंगी हम बोहोत जी चुके हैं, इसका मतलब बाकी बचे हमारे अच्छे कर्म ही होंगे, तो वो बोहोत जादा है,हमारे बदले सोच से हमे थोडा हौसला मिल गया और हम रुखे हुवे थे तो सांसे भी थोड़ी अच्छी मिलने लगी, पर जादा रुक भी नहीं सकते थे क्योंकि दिल की धड़कनें तो जोरों से ही चालू थी, तो हम फिरसे चलने लगे, आगे जाकर हमें लगने लगा हम इसे ज्यादा उस खौफनाक बारिश में हम नहीं रह सकते तभी हमारे अंदर से यह आवाज आयी कि जो सामने बिल्डिंग दिख रही है उसमें चले जा, जेसे की हमें कोई बता रहा था, हमारे पास भी दुसरा रास्ता नहीं था, तो हम चले गए पर वहा तो सब अनजान थे उपरसे सभी फ्लैट के दरवाज़े बंद थे, क्या करु कुछ समज में नहीं आ रहा था, हमनें भी अपने आंखें बंद करके देखा और जिस तरह कीसी आवाज ने हमें वह बिल्डिंग बताई उसी आवाज को हम फिरसे सुनने लगे बड़ी मुश्किल के बाद हम वो आवाज सुन सके और उसने आठवें फ्लैट को दर्शाया, हमारे पास तो इतना भी सोचने का वक्त नहीं था की सच्च में यह कुछ हो रहा है या फिर हमारे दिल का खेल है,तो हमनें गाड़ी पार्क की और उपर चले गए, 
हमनें बिना सोचे ही उस फ्लैट की बेल बजा दी, दरवाजा खुल गया अंदर एक औरत थी हमें कुछ कहने से पहले ही उसने हमें अंदर बुलाया, और हमें बाथरूम दिखाया साथ में कुछ कपड़े और टॉवेल दिया, हमनें गर्म पानी से नहा लिया और वो कपड़े पहन कर बाहर आ गए, उसने बेडरूम में हमें रजाई दे दी और आराम करने को कहा, हम कुछ भी सोचने की स्थिति में नहीं थे, हम भी वहाँ पर ही रजाई लेकर बैठ गए, कुछ देर बाद वह औरत  चाय करके ले आयी, उसके बाद हम थोड़ा बेहतर फिल करने लगे, कुछ देर बाद हमनें उनसे मोबाइल मांगा उन्होंने दे दीया, हमरा मोबाइल मां के साथ भेज दिया था, हमनें मां को फोन किया, वो बोहोत चिंतित थी पर वो मामाजी के यहां पोहोच गयी थी, अब हम निश्चित हो गये, हमनें भी बताया हम हमारे दोस्त के यहां रुक गये हैं, और हम ठीक है, उसके बाद हमनें घर फोन कर दीया , सब बोहोत चिंतित थे,सबसे ज्यादा तो पापा हमनें उन्हे सब बताया कि मां मामाजी के यहां गयी और हम अपने दोस्त के यहां रुखे है, अब सब नॉर्मल था, कुछ देर बाद वो औरत कमरे में आयी उसने खाने के लिए बुलाया,हमें उनसे कुछ बात करनी थी पर सोचा कि खाना होने के बाद करते हैं, फिर हमनें खाना खाने के बाद उनको पुछा की आपने हमें बिना पूछताछ किये अन्दर कैसे लिया,तब वो हमसे कहने लगीं कि , हमनें  तुम्हें उपर से देखा था नीचे बारिश में खड़े, तुम थंड से बोहोत काप रहे थे, हमें लगा भी तुम्हें उपर बुलाए पर हम फोन पर बात कर रहे हैं थे,कुछ देर बाद बेल बजी तो दरवाजे में तुम खड़े थे, तो हमें लगा तुम्हें हमारी दिल की बात पता चली गई होगी,तो तुम्हसे और क्या पुछती, उसके बाद वो शांत हो गयी हमनें बाद में उनसे परिवार के बाकी लोगों के बारे में पुछा तब उन्होंने बताया कि, उनके पति नहीं रहे, बेटा और बहु  विदेश में रहते हैं,इस घर का खर्च भी बेटा ही देता है और मुझे जो कपड़े दिये वो उनके बेटे के ही थे , पर मुझे उनकी आंखों में नमी दिख रही थी,और उन्होंने भी बात बदल दी, उसके बाद उन्होंने हमसे हमारे परिवार के बारे में पुछा, और बोहोत देर तक बात चलती रही, उस दौरान बारिश भी रूक गई थी, 
तो हमनें भी उन्हें कहा कि हम निकल ते है अब, मामाजी के यहां चले जायेंगें मां भी वही पर रुकी हुई है, उन्होंने भी खिड़की से आसमान की तरफ देख कर बाद में हमें मुस्कुराते चेहरे से जाने की इजाजत देदी, हम भी वहां से निकल कर नीचे आकर रुक गये,निकलने से पहले हमनें आसमान की तरफ देखा आसमान में तारे चमक रहे थे पर इस बार हमारा दिल कह रहा था कि अब यह तुम्हें धोखा नहीं देगा, हम भी बड़ी सांस लेकर निकल गये, बहुत देर के बाद हम मामाजी के यहां पहुंच गये पर पूरे रास्ते में हमारे दिल में बोहोत सारी बातें चल रही थी, मामाजी के यहां पर भी हमनें कीसी से ज्यादा बात नहीं की और सोने के लिए निकल गये, पर रात के जो दो-तीन घंटे हमें मिले उसमें भी हम सो नहीं सके, हमारे दिल में बस वही दिनभर की बातें ही घुम रही थी,
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 आधे रास्ते में ही बारिश शुरू हो गई, तो एक जगह मां को लेकर रुख गया, सोचा बारिश रुकने पर वापस चला जाऊँगा क्युकी मां साथ में थी भीगा जाती तो तकलीफ होती, पर बारिश रुख गई तो घर की तरफ मौसम खराब दिख रहा था और शहर की तरह साफ, क्या करूं पता नहीं चला बिना सोचें ही शहर की तरह निकल पड़ा मौसम तो साफ दिखाई दे रहा था पर आगे जाने पर मौसम ने पलभर में ही रुक बदल दिया शहर के पास चला गया था और घर से काफी दूर, देखते देखते जोर से बारिश शुरू हो गई, हम फिरसे रुख गये पर इस बार पुरे भीग चुके थे और थंड भी लग रही थी, आखिर बोहोत देर के बाद बारिश फिरसे रुक गई इस बार भी वही था घर के तरफ मौसम खराब दिख रहा था और शहर के तरफ पुरा साफ, क्या करते, उस शहर में मां का भाई यानी मामाजी रहते थे, सोचा उनके पास चले जाते हैं,और निकल गये हम वहासे शहर कि तरफ पर वहां पर पोहचेभी नहीं की कुछ इस तरह बारिश शुरू हुई मानों आसमान फट गया हो, 
हमें सामने दिख रही परिस्थिति का अंदाजा हुआ, हमनें एक टॅक्सी रोखदी उसमें मां को जाने केलीये कहा पर माँ सुन नहीं रही थी, हमनें बोहोत समझाया पर माँ मानने कोई तैयार नहीं थी, पर खुस्से में आकर हमनें मां को उसमें बैठा दिया और उसको मामाजी के यहां जाने को कहा, और हम बाइक पर आगे जाने लगे पर बारिश इतनी थी कि रास्ते पानी के वजह से बंद हो ने वाले थे और कुछ देर बाद तो हमारी सांसे भी अटकनी शुरू हो गयी दिल की धड़कन जोर से बडनी लगी हम एक जगह रुख गये, शायद अपनी मौत और जिदंगी के बिच ही रुक गये थे, हमें कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है,एक बार लगा कि अब शायद मौत जीत जायेगी, हम पुरी तरह से काप रहे थे, हमारे नजरों के सामने सब दिखाई देने लगा था, अपनों के साथ बिताया वक्त, हमनें किये हुए बुरे काम, मानो तो बुरे कर्म, पता नहीं चल रहा था ऐसा क्यों हो रहा है, मन में तो यह भी आने लगा कि शायद मौत से पहले भगवान हमें अपने जिंदगी में किये हुए बुरे कर्मों से रुबरु करा रहा है, 
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तो हमनें भी उन्हें कहा कि हम निकल ते है अब, मामाजी के यहां चले जायेंगें मां भी वही पर रुकी हुई है, उन्होंने भी खिड़की से आसमान की तरफ देख कर बाद में हमें मुस्कुराते चेहरे से जाने की इजाजत देदी, हम भी वहां से निकल कर नीचे आकर रुक गये,निकलने से पहले हमनें आसमान की तरफ देखा आसमान में तारे चमक रहे थे पर इस बार हमारा दिल कह रहा था कि अब यह तुम्हें धोखा नहीं देगा, हम भी बड़ी सांस लेकर निकल गये, बहुत देर के बाद हम मामाजी के यहां पहुंच गये पर पूरे रास्ते में हमारे दिल में बोहोत सारी बातें चल रही थी, मामाजी के यहां पर भी हमनें कीसी से ज्यादा बात नहीं की और सोने के लिए निकल गये, पर रात के जो दो-तीन घंटे हमें मिले उसमें भी हम सो नहीं सके, हमारे दिल में बस वही दिनभर की बातें ही घुम रही थी,
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