उड़ना जो मैं चाहूं वह पंख काट देते हैं जुड़ना जो मैं चाहूं टुकड़ों में बांट देते हैं बेङियों में बंधे हुए यह हाथ अब कुछ कहते हैं पांव पत्थर से बने हैं नयन शून्यता में रहते हैं बोलना जो मैं चाहूं निकलती ना आवाज है लफ्ज़ बिखरे से पढ़े हैं खुले ना कुछ राज है धूल सी उड़ती नींदे है डरावनी सी रात है जलते से है सपने सारे कोई ना उनमें साथ है #poemsbynancy #poemholic #instagram #indianpoet #adhooriudaan #truewords #followme #panchi